The smart Trick of हल्दी का नियमित सेवन करने के फायदे That No One is Discussing

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हल्दी दूध पीने से पहले देख लें कि आपको इससे कोई एलर्जी तो नहीं है। जिन्हें एलर्जी होती है, वह आम तौर पर गर्दन या चेहरे पर हल्के खुजली वाले चकत्तों का अनुभव करते हैं। (और पढ़ें - खुजली दूर करने के घरेलू उपाय)

• हल्दी का हेयर मास्क बनाकर उपयोग किया जाता है।

हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होने के कारण इसे सदियों से त्वचा की देखभाल के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। हल्दी का पानी पीने से सूजन को कम करके, ऑक्सीडेटिव तनाव से मुकाबला करके और एक युवा रंग का समर्थन करके स्वस्थ त्वचा को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।

हल्दी वाला दूध पिने से मधुमेह नियंत्रित रहता है।

एक चम्मच पिसी हल्दी को एक कप पानी में घोलकर दिन में दो बार रोगी को पिलाने से दस्त आना बन्द हो जाते हैं। 

ऐसे में यदि आप खाली पेट सेवन करते हैं तो न केवल बॉडी को डिटॉक्स किया जा सकता है बल्कि स्किन की समस्याओं से राहत मिल सकती है.

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आइये, हल्दी दूध से होने वाले अनेकों फायदों पर विस्तार में चर्चा करते हैं।

सर्दी का मौसम आते है कई प्रकार के रोग होना शुरू हो जाते है चाहे वो सर्दी-जुकाम हो या फिर जोड़ों का दर्द। ये सभी समस्यायें सर्दी के मौसम को कई लोगों के लिए दुखदायी बना देती हैं. आयुर्वेद के अनुसार हल्दी have a peek at this web-site के सेवन से आप इन रोगों को कुछ हद तक घर पर ही ठीक कर सकते है। इसलिए सर्दियों के मौसम में आयुर्वेदिक चिकित्सक भी हल्दी के सेवन की सलाह देते हैं.

त्वचा पर दाद खुजली हो गई है तो खुजली वाली जगह पर हल्दी का लेप लगाएं।

पिसी हुई हल्दी को तवे पर अच्छी तरह सेंक लीजिए फिर इस सिकी हुई हल्दी से रोज़ाना सुबह मंजन करें इससे दांत मजबूत होते हैं और हिलना रूक जाते हैं।

• हल्दी में करक्यूमिन तथा टरमरोन घटक होने के कारण योगिक मस्तिष्क की कोशिकाओं को ठीक करने में मदद करता है । स्ट्रोक या अल्जाइमर रोग में न्यूरोडेजेनरेटिव बीमारियों को रोकने में मदद करता है । करक्यूमिन अल्जाइमर रोग में स्मृति के सुधार में मदद करता है। यह अल्जाइमर रोग की गति को धीमा करता है । या रोक भी लगाता है । मस्तिष्क में आई हुई गठन को दूर करता है । ऑक्सीजन लेवल को सुधारने में भी मदद करता है ।

यह महत्वपूर्ण है कि हमारे शरीर में बैक्टीरिया की बहुतायत न हो। बैक्टीरिया के सक्रिय हुए बिना आप जीवित नहीं रह सकते। लेकिन अगर बैक्टीरिया की बहुतायत हो गई, तो आप बीमार महसूस करेंगे क्योंकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उनसे निपटने में बहुत ऊर्जा खर्च करती है। नीम का अलग-अलग रूपों में इस्तेमाल करते हुए, आप बैक्टीरिया को इतना सीमित कर सकते हैं कि आपको उसे संभालने में शरीर की ऊर्जा खर्च न करनी पड़े।

दाल से आपके शरीर को प्रोटीन और फाइबर  मिलेगा जबकि ब्राउन राइस साबुत अनाज की श्रेणी में आता है और इसका फाइबर आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम रखेगा और आपके दिल को स्वस्थ रखेगा.

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